Monday, January 27, 2025

Article of Dainik Bhaskar about online e commerce complaints

 This article was published in Dainik Bhaskar on January 26, 2025, about any e-commerce website's non-performance . This is a good informative article.

Friday, January 24, 2025

समय और धैर्य....

 समय और धैर्य....

एक साधु था, वह रोज घाट के किनारे बैठकर चिल्लाया करता था, "जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे। बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नही देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे। एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसने उस साधु की आवाज सुनी, जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे" और आवाज सुनते ही उसके पास चला गया।

उसने साधु से पूछा - महाराज आप बोल रहे थे कि ‘जो चाहोगे सो पाओगे’ तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो मैँ जो चाहता हूँ ?
साधु उसकी बात को सुनकर बोला - हाँ बेटा तुम जो कुछ भी चाहता है मैं उसे जरुर दुँगा, बस तुम्हे मेरी बात माननी होगी। लेकिन पहले ये तो बताओ कि तुम्हे आखिर चाहिये क्या ?

युवक बोला - मेरी एक ही ख्वाहिश है मैं हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूँ।
साधू बोला - कोई बात नहीँ मैँ तुम्हे एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे ! और ऐसा कहते हुए साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली पर रखते हुए कहा - पुत्र, मैं तुम्हे दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं, लोग इसे "समय" कहते हैं, इसे तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसे कभी मत गंवाना, तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो"।

युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसका दूसरी हथेली पकड़ते हुए बोला - पुत्र, इसे पकड़ो, यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है, लोग इसे "धैर्य" कहते हैं, जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम ना मिलें तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना, याद रखना जिसके पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है।

युवक गम्भीरता से साधु की बातों पर विचार करता है और निश्चय करता है कि आज से वह कभी अपना समय बर्बाद नहीं करेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा और ऐसा सोचकर वह हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी के यहाँ काम शुरू करता है और अपने मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनता है।

'समय और धैर्य' वह दो हीरे-मोती हैं जिनके बल पर हम बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अतः ज़रूरी है कि हम अपने कीमती समय को बर्वाद ना करें और अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए धैर्य से काम लें।

Tuesday, September 24, 2024

जीवन के अंतिम चरण के कुछ उपाय

*जीवन के इन तीन चरणों में दुखी न हों:*

*(1) पहला कैंप :-58 से 65 वर्ष*

कार्यस्थल आपसे दूर हो जाता है।

अपने करियर के दौरान आप चाहे कितने भी सफल या शक्तिशाली क्यों न हों, आपको एक साधारण व्यक्ति ही कहा जाएगा। इसलिए, अपनी पिछली नौकरी या व्यवसाय की मानसिकता और श्रेष्ठता की भावना से चिपके न रहें

*(2) दूसरा कैंप :-65 से 72 वर्ष*

इस उम्र में, समाज धीरे-धीरे आपको दूर कर देता है। आपके मिलने-जुलने वाले दोस्त और सहकर्मी कम हो जाएँगे और आपके पिछले कार्यस्थल पर शायद ही कोई आपको पहचानता हो।

यह न कहें कि "मैं था..." या "मैं कभी था..." क्योंकि युवा पीढ़ी आपको नहीं पहचानेगी, और आपको इसके बारे में बुरा नहीं मानना चाहिए!

*(3) तीसरा कैंप :-72 से 77 वर्ष*

इस कैंप में, परिवार धीरे-धीरे आपको दूर कर देगा। भले ही आपके कई बच्चे और नाती-नातिन हों, लेकिन ज़्यादातर समय आप अपने साथी के साथ या अकेले ही रह रहे होंगे।

जब आपके बच्चे कभी-कभार आते हैं, तो यह स्नेह की अभिव्यक्ति है, इसलिए उन्हें कम आने के लिए दोष न दें, क्योंकि वे अपने जीवन में व्यस्त हैं!

और अंत में 77+ के बाद,
धरती आपको नष्ट करना चाहती है। इस समय, दुखी या शोक मत करो, क्योंकि यह जीवन का अंतिम चरण है, और हर कोई अंततः इसी मार्ग का अनुसरण करेगा!

*इसलिए, जब तक हमारा शरीर अभी भी सक्षम है, जीवन को भरपूर जिएँ!*

*आपका*
*जो पसंद है वो खाएँ,*
*पीएँ, खेलें और जो पसंद है वो करें।*

*खुश रहें, खुशी से जिएँ..*

*प्रिय वरिष्ठ नागरिक भाइयों और बहनों*,

*उपरोक्त लेख लेखक द्वारा बहुत बढ़िया लिखा गया है।*

 *लेखक को बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई*।

58+ के बाद दोस्तों का एक समूह बनाएँ और कभी-कभार एक निश्चित स्थान पर, एक निश्चित समय पर मिलते रहें। टेलीफोनिक संपर्क में रहें। पुराने जीवन के अनुभवों को याद करें और एक-दूसरे के साथ साझा करें।

*हमेशा खुश रहें।🙏*

Friday, January 5, 2024

आपका कहा एक वाक्य क्या प्रभाव दिखाता है?

एक सहेली ने दूसरी सहेली से पूछा:- बच्चा पैदा होने की खुशी में तुम्हारे पति ने तुम्हें क्या तोहफा दिया ?
सहेली ने कहा - कुछ भी नहीं!

उसने सवाल करते हुए पूछा कि क्या ये अच्छी बात है ? क्या उस की नज़र में तुम्हारी कोई कीमत नहीं ?

लफ्ज़ों का ये ज़हरीला बम गिरा कर वह सहेली दूसरी सहेली को अपनी फिक्र में छोड़कर चलती बनी।

थोड़ी देर बाद शाम के वक्त उसका पति घर आया और पत्नी का मुंह लटका हुआ पाया। फिर दोनों में झगड़ा हुआ।

एक दूसरे को लानतें भेजी। मारपीट हुई, और आखिर पति पत्नी में तलाक हो गया।

जानते हैं प्रॉब्लम की शुरुआत कहां से हुई ? उस फिजूल जुमले से जो उसका हालचाल जानने आई सहेली ने कहा था।

बिकास जी ने अपने जिगरी दोस्त पवन से पूछा:- तुम कहां काम करते हो?

मनोज जी- फला दुकान में।
बिकास जी - कितनी तनख्वाह देता है मालिक?
मनोज जी-18 हजार।

बिकास जी-18000 रुपये बस, तुम्हारी जिंदगी कैसे कटती है इतने पैसों में ?
मनोज जी- (गहरी सांस खींचते हुए)- बस यार क्या बताऊं।

मीटिंग खत्म हुई, कुछ दिनों के बाद मनोज जी अब अपने काम से बेरूखा हो गया। और तनख्वाह बढ़ाने की डिमांड कर दी।

जिसे मालिक ने रद्द कर दिया। पवन ने जॉब छोड़ दी और बेरोजगार हो गया। पहले उसके पास काम था अब काम नहीं रहा।

एक साहब ने एक शख्स से कहा जो अपने बेटे से अलग रहता था। तुम्हारा बेटा तुमसे बहुत कम मिलने आता है। क्या उसे तुमसे मोहब्बत नहीं रही?

बाप ने कहा बेटा ज्यादा व्यस्त रहता है, उसका काम का शेड्यूल बहुत सख्त है। उसके बीवी बच्चे हैं, उसे बहुत कम वक्त मिलता है।

पहला आदमी बोला- वाह!!

यह क्या बात हुई, तुमने उसे पाला-पोसा उसकी हर ख्वाहिश पूरी की, अब उसको बुढ़ापे में व्यस्तता की वजह से मिलने का वक्त नहीं मिलता है। तो यह ना मिलने का बहाना है

इस बातचीत के बाद बाप के दिल में बेटे के प्रति शंका पैदा हो गई। बेटा जब भी मिलने आता वो ये ही सोचता रहता कि उसके पास सबके लिए वक्त है सिवाय मेरे।

याद रखिए जुबान से निकले शब्द दूसरे पर बड़ा गहरा असर डाल देते हैं।। बेशक कुछ लोगों की जुबानों से शैतानी बोल निकलते हैं।

हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बहुत से सवाल हमें बहुत मासूम लगते हैं।

जैसे-
तुमने यह क्यों नहीं खरीदा।
तुम्हारे पास यह क्यों नहीं है।

तुम इस शख्स के साथ पूरी जिंदगी कैसे चल सकती हो।
तुम उसे कैसे मान सकते हो। 
वगैरा वगैरा।।

इस तरह के बेमतलबी फिजूल के सवाल नादानी में या बिना मकसद के हम पूछ बैठते हैं।

जबकि हम यह भूल जाते हैं कि हमारे ये सवाल सुनने वाले के दिल में नफरत या मोहब्बत का कौन सा बीज बो रहे हैं।।

आज के दौर में हमारे इर्द-गिर्द, समाज या घरों में जो टेंशन टाइट होती जा रही है, उनकी जड़ तक जाया जाए तो अक्सर उसके पीछे किसी और का हाथ होता है।

वो ये नहीं जानते कि नादानी में या जानबूझकर बोले जाने वाले जुमले किसी की ज़िंदगी को तबाह कर सकते हैं।

ऐसी हवा फैलाने वाले हम ना बनें।