Thursday, November 18, 2021

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर

1) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:*
- करते नहीं कोई यात्रा,
- पढ़ते नहीं कोई किताब,
- सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,
- करते नहीं किसी की तारीफ़।

2) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, जब आप:*
- मार डालते हैं अपना स्वाभिमान,
- नहीं करने देते मदद अपनी और न ही करते हैं मदद दूसरों की।

3) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:*
- बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के, 
- चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
- नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार,
- नहीं पहनते हैं अलग-अलग रंग, या
- आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान।

4) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:*
- नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को, और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को, वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें, और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को।

5) *आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:*
- नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को, जब हों आप असंतुष्ट अपने काम और परिणाम से,
- अग़र आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
- अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
- अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को, अपने जीवन में कम से कम एक बार, किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की..।
*तब आप धीरे-धीरे मरने  लगते हैं..!!*

Sunday, November 14, 2021

खत्म होने जा रहा है एक युग

🙏 खत्म होने जा रहा है एक युग 👏

आने वाले 10/15 साल में एक पीढी संसार छोड़ कर जाने वाली है...

इस पीढ़ी के लोग बिलकुल अलग ही हैं...

रात को जल्दी सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले, भोर में घूमने निकलने वाले।

आंगन और पौधों को पानी देने वाले, देवपूजा के लिए फूल तोड़ने वाले, पूजा अर्चना करने वाले, प्रतिदिन मंदिर जाने वाले।

रास्ते में मिलने वालों से बात करने वाले, उनका सुख दु:ख पूछने वाले, दोनो हाथ जोड कर प्रणाम करने वाले, पूजा किये बगैर अन्नग्रहण न करने वाले।

उनका अजीब सा संसार...
तीज त्यौहार, मेहमान शिष्टाचार, अन्न, धान्य, सब्जी, भाजी की चिंता तीर्थयात्रा, रीति रिवाज, सनातन धर्म के इर्द गिर्द घूमने वाले।

पुराने फोन पे ही मोहित, फोन नंबर की डायरियां मेंटेन करने वाले, रॉन्ग नम्बर से भी बात कर लेने वाले, समाचार पत्र को दिन भर में दो-तीन बार पढ़ने वाले।

हमेशा एकादशी याद रखने वाले, अमावस्या और पूर्णमासी याद रखने वाले लोग, भगवान पर प्रचंड विश्वास रखने वाले, समाज का डर पालने वाले, पुरानी चप्पल, बनियान, चश्मे वाले।

गर्मियों में अचार पापड़ बनाने वाले, घर का कुटा हुआ मसाला इस्तेमाल करने वाले और हमेशा देशी टमाटर, बैंगन, मेथी, साग भाजी ढूंढने वाले।

नज़र उतारने वाले,

क्या आप जानते हैं कि ये सभी लोग धीरे धीरे, हमारा साथ छोड़ के जा रहे हैं।

क्या आपके घर में भी ऐसा कोई है?  यदि हाँ, तो उनका बेहद ख्याल रखें।

अन्यथा एक महत्वपूर्ण सीख, उनके साथ ही चली जायेगी... वो है, संतोषी जीवन, सादगीपूर्ण जीवन, प्रेरणा देने वाला जीवन, मिलावट और बनावट रहित जीवन, धर्म सम्मत मार्ग पर चलने वाला जीवन और सबकी फिक्र करने वाला आत्मीय जीवन।

आपके परिवार में जो भी बडे हों, उनको मान सन्मान और अपनापन, समय तथा प्यार दीजिये , और हो सके तो उनके कुछ पद चिन्हो पर चलने की कोशिश करे ।

              संस्कार ही
       अपराध रोक सकते हैं                                                                                         
           सरकार नहीं !!
Lastly...

🙏🙏
 यह मानव इतिहास की आखरी पीढ़ी है , जिसने अपने बड़ों की सुनी और अब अपने छोटों की भी सुन रहे हैं।।
                                                   🙏🙏🙏

जीवन के अंतिम चरण के कुछ उपाय

*जीवन के इन तीन चरणों में दुखी न हों:* *(1) पहला कैंप :-58 से 65 वर्ष* कार्यस्थल आपसे दूर हो जाता है। अपने करियर के दौरान आप चाहे कितने भी स...